घेरे हुए... वृत्ताकार...बज रहा है... क्रूर संगीत...भाग नहीं रही... हथेलियों से दबाया भी नहीं कानों कोसुन रही इत्मिनान सेठिठुरते पहाड़ का एक चित्र मेरे सामने पड़ा है
हिंदी समय में आरती की रचनाएँ